Aisa kyu hota hai facts in hindi: दुनिया में एसी बहुत सी चीज़े है जिनके बारे में जानने की हमें उत्सुकता रहती हैं की ऐसा क्यों होता है ,केसे/क्यों आखिर वकील काला ही कोट पहनते है ?
अपने हाथों में गुदगुदी क्यों नहीं होती , क्यों आखिर लोहे की गेंद पानी में डूब जाती हैं लेकिन जहाज नहीं डूबता | यहाँ पर ऐसे ही बहुत से सवालो के जवाब आपको मिलने वाले हैं तो आइये शुरू करते हैं और जानते है ऐसा क्यों होता है ? |
1.वकील काला कोट ही क्यों पहनते है ?
वकील लोग काला कोट इसलिए पहनते हैं क्योंकि काला रंग दृष्टिहीनता का प्रतीक होता है। कहा जाता है की कानून अंधा होता है और दृष्टिहीन लोग किसी के साथ पक्षपात नही करते | इसी कारण से वकीलों के कोट का रंग काला होता है जीससे वकील बिना किसी पक्षपात के अपना काम ईमानदारी से करे।

अधिनियम 1961 के तहत वकीलों के लिए सफेद बन टाई के साथ काला कोट अनिवार्य कर दिया गया। वकील काले कोट के साथ सफेद शर्ट भी पहनते है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सफेद रंग सच्चाई का प्रतीक होता है। तो काला और सफ़ेद का मतलब हो गया की वकील बिना किसी भेद-भाव के पूरी ईमानदारी और सच्चाई से अपना काम करें जिससे क़ानूनी न्याय पर लोगों का विश्वास बना रहे।
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2.तुलसी का पौधा क्यों सूख जाता है ?
आपने देखा होगा कि घर में लगा हुआ तुलसी का पौधा अचानक से सूखने लगता है और आपको समझ ही नहीं आता की ऐसा क्यों होता है। पुराणों और शास्त्रों के अनुसार ऐसा इसलिए होता हैं कि जिस घर में मुसीबत आने वाली होती है उस घर से सबसे पहले लक्ष्मी माँ अथार्थ तुलसीजी चली जाती है क्योंकि दरिद्रता,अशांति या क्लेश जहाँ होता है वहाँ लक्ष्मीजी का निवास नहीं होता |

अगर ज्योतिष शास्त्र की मानें तो ऐसा बुध ग्रह के कारण होता है। बुध का प्रभाव हरे रंग पर होता है और बुध को पेड़-पौधों का कारक ग्रह माना जाता है। अगर तुलसी का पौधा सूख जाए तो उसे फ़ेकना नहीं चाहिए उसे नदी में प्रवाहित कर दें और उस जगह दूसरा पौधा लगा दें। सूखे हुए तुलसी के पौधे को घर में नहीं रखना चाहिए, इसे अशुभ माना जाता है।
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3.अपने हाथ से गुदगुदी क्यों नहीं होती ?

4.लोहे की गेंद पानी में डूब जाती है लेकिन जहाज क्यों नहीं डूबता ?
भौतिकशास्त्री आर्किमिडीज के सिद्धांत के अनुसार जब किसी वस्तु को द्रव्य में पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से डुबोया जाता है तो वह हल्की हो जाती है यानि आभासी रूप से उसके भार में कमी आ जाती है और यह आभासी भार में कमी वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव्य के बरावर होती है।

लोहे की गेंद पानी में डूब जाती है क्योंकि उसके द्वारा हटाए गए जल का भार उस गेंद के भार से कम होता है। इसी तरह जहाज पानी में इसलिए नहीं डूबता क्योंकि उसके द्वारा हटाए गए जल का भार उसके भार के बराबर होता है।
5.छिपकली दीवार से क्यों नहीं गिरती ?
दरअसल छिपकलियों के पैर में बहुत सारे सूक्ष्म रेशे होते हैं जिसे Setae कहा जाता हैं।

इन सब में से और अति सूक्ष्म रोम निकलते हैं जो Spatulae कहलाते हैं। यही Spatulae जब दीवार के संपर्क में आता हो तो “वैन डर वाल्स बल” (van der Waals force) पैदा होता हैं और इसी बल के कारण छिपकली दीवार पर आसानी से चल सकती है और गिरती नहीं है।
6.नवजात शिशु अपनी माँ को कैसे पहचान लेता है ?
शिशु जब अपनी माँ के गर्भ में होता हैं तभी से उसका सम्पर्क उसकी माँ से होने लगता हैं

शिशु अपनी माँ की खुशबु, धड़कन और आवाज को पहचानने लगता हैं बच्चे के पैदा होने के बाद भी माँ ही उसके पास ज्यादा होती हैं यही कारण है की शिशु अपनी माँ को पहचान पाता हैं |
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7.क्यों नहीं लगती है कुतुब मीनार के पास स्थित लौह स्तम्भ में जंग ?
यह लोह स्तम्भ गुप्त वंश के राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य द्वितीय द्वारा बनवाया गया था यह लौह स्तम्भ 1600 वर्ष से अधिक पुराना है। लोहे का बना हुआ यह स्तम्भ 7 मीटर ऊँचा है और इसका वजन 6 हज़ार किलो से अधिक है। इस स्तम्भ का 1 मीटर हिस्सा ज़मीन के अंदर है। खम्बे के मूल के पास इसका व्यास 17 इंच और शीर्ष पर 12 इंच व्यास है।
एक बार आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर ने वर्ष 1998 में स्तम्भ के लोहे के मटेरियल पर प्रयोग किया था। इस प्रयोग से उन्हें पता चला की स्तम्भ के लोहे को बनाते समय पिघले हुए कच्चे लोहे में फास्फोरस तत्व को मिलाया गया था। इससे आयरन में अणु बांड नहीं बन पाए। इस वजह से जंग लगने की गति हज़ारों गुना धीमी हो गई।
8.लकड़ी में आग तुरंत क्यों लग जाती है जबकि धातु में देर से लगती है ?
धातु की तुलना में लकड़ी के आसानी से जलने का कारण यह है कि लकड़ी वास्तव में जलती ही नहीं हैं वह वास्तव में गैस बनकर उड़ती रहती है। जब हम लकड़ी को जलाते हैं तो उसमे मौजूद यौगिकों के अणु खंडित होकर ज्वलनशील गैसों में परिवर्तित होने लगते हैं। यह गैस हवा में मिलकर जलने लगती है। लकड़ी तब तक गैसों में बदलती रहती हैं जब तक वो जलती रहती है और गैसों के निकलने की वजह से इसमें आग बुझ नहीं पाती है।

जबकि धातु इस प्रकार के अणुओं में खंड नहीं हो पाते हैं और इसे वाष्पशील होने के लिए बहुत अधिक तापमान की आवश्यकता होती है इसलिए इसमे सरलता से आग नहीं लगती। यदि धातुओं को जलाने के लिए आदर्श परिस्थितियाँ मिल जाएँ तो उन्हें भी जलने में कम समय लगेगा। लेकिन धातुओं में लगी आग बहुत खतरनाक होती है और यह बहुत मुश्किल से बुझती है।
9.एयर-कंडिशनर से पानी क्यों निकलता है ?

हमने देखा हैं की जब ग्लास में ठंडा पानी डाला जाता है तब उसके बाहर पानी की बूंदें जम जाती हैं और कुछ समय के पश्चात पानी के रूप में नीचे आ जाती हैं। ऐसे ही जब एयर-कंडिशनर चलता है उस में उत्पन्न गैस जब पाइप से गुजरती है तो उसमे पानी की बूंदें जम जाती हैं और बाहर के गर्म वातावरण के सम्पर्क में आकर पानी में तब्दील हो जाती हैं।
10.गाड़ियों के टायर काले रंग के ही क्यों होते हैं ?
प्राकृतिक रबड़ का रंग स्लेटी होता है और बनाते समय इसका रंग बदल जाता है और ये स्लेटी से काला हो जाता है। टायर बनाने की प्रक्रिया को “वल्कनाइजेशन” कहते हैं। टायर बनाने के लिए उसमें काला कार्बन मिलाया जाता है जिससे रबर जल्दी से घिसता नहीं हैं यदि प्राकतिक रबर का टायर 5 हज़ार किलोमीटर चलता है तो कार्बन युक्त टायर एक पचास हजार किलोमीटर या उससे अधिक चल सकता है।

अगर टायर में प्राकतिक रबर लगा दिया जाये तो वह जल्दी से घिस जायेगा इसीलिए इसमें काला कार्बन और सल्फर मिलाया जाता हैं जिससे टायर काफी दूर तक चल पाता हैं सल्फर इसे सूरज की अल्ट्रा-वायलेट किरणों से भी बचाता हैं
11.साबुन का झाग हमेशा सफेद ही क्यों होता है ?
साबुन चाहें किसी भी कलर में हो लेकिन झाग हमेशा सफ़ेद ही होता हैं। इसका कारण यह है कि किसी वस्तु का अपना कोई रंग नहीं होता। उस पर जब प्रकाश की किरणें पड़ती हैं तो वह बाकी रंगों को सोखकर जिस रंग को परावर्तित करती है वही उसका रंग होता है। यही नियम है कि जब कोई वस्तु सभी रंगों को सोख लेती है तो वह काली और सभी रंगों को परावर्तित करती है तो सफेद दिखाई देती हैं |

साबुन के झाग का सफेद दिखने का भी यही कारण है। झाग कोई ठोस पदार्थ नहीं है। इसकी सबसे छोटी इकाई पानी, हवा और साबुन से मिलकर बनी एक पतली फिल्म होती है। यह पतली फिल्म
जब गोल आकार ले लेती है तो हम इसे बुलबुला कहते हैं। दरअसल साबुन का झाग बहुत सारे छोटे बुलबुलों का समूह होता है। साबुन के एक बुलबुले में घुसते ही प्रकाश किरणें अलग-अलग दिशा में परावर्तित होने लगती हैं। अतार्थ उसके अंदर प्रकाश किरणें किसी एक दिशा में जाने के बजाय अलग-अलग दिशा में बिखर जाती हैं। यही कारण है कि साबुन का एक बड़ा बुलबुला हमें पारदर्शी सतरंगी फिल्म जैसा दिखाई देता है। यदि ऐसे किसी बुलबुले में से प्रकाश किरणें एक ही दिशा में लौटतीं तो यह कागज की तरह सफेद दिखाई देता।
12.कुत्ते के सूंघने की क्षमता अधिक क्यों होती है ?
कुत्ते की सूंघने की क्षमता इंसानों की तुलना में लगभग 1000 गुना ज्यादा होती है। कुत्ते के सूंघने की क्षमता ज्यादा होने का कारण उसके नाक में मौजूद विशेष गुण होते हैं। कुत्ते की नाक के दोनों छिद्रों में एक ऐसी जगह होती है जहाँ बहुत अधिक मात्रा में गंध संवेदनशील कोशिकाएं होती हैं जिन्हें “कीमोरिसेप्टर” कहा जाता है।

ये रिसेप्टर्स बालों जैसे दिखाई देते हैं और हमेशा गीले रहते हैं। ये सेल्स नाड़ियों के जरिये दिमाग से जुड़ी रहती है और दिमाग के इस स्थान को “ऑलफक्ट्री बल्ब” कहा जाता है। ये भाग जितना बड़ा होता है, कुत्ते में सूंघने की क्षमता उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है।
13.कॉफी पीकर नींद क्यों उड़ जाती है ?

कॉफी में केफीन नामक पदार्थ होता हैं ,कैफीन एक प्राकृतिक पदार्थ है जो चाय और कॉफी दोनों में पाया जाता हैं | जब हम कॉफी पीते हैं तो कैफीन पेट और छोटी आंत के जरिए ब्लडस्ट्रीम में प्रवेश करता है और फिर कुछ घंटों के लिए शरीर में घूमता रहता हैं | यह बॉडी में एडेनोसिन (नींद लाने वाला पदार्थ) को ब्लॉक करके नींद को रोक देता हैं |
14.ट्रैन के पीछे एक्स (क्रॉस) का निशान क्यों होता है ?
ट्रैन के पीछे एक्स (क्रॉस) का निशान हमें यह बतलाता हैं की यह ट्रेन का आखिरी डिब्बा हैं अगर किसी ट्रेन में आपको यह डिब्बा नहीं दिखता तो इसका मतलब वह ट्रेन आपातकालीन स्तिथी में हैं |
15.आखिर क्यों बनता हैं इन्द्रधनुष ?

इन्द्रधनुष एक मौसमी घटना हैं यह पानी की बूंदों में प्रकाश के परावर्तन , अपवर्तन,और फेलाव के कारण बनने वाला सयोंजन होता हैं यह घटना हमें हमेशा सूरज के विपरीत दिशा में दिखाई देती हैं |
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