Essay on ganesh chaturthi in hindi-गणेश चतुर्थी पर निबंध
गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi) पर्व हिंदुओं का मुख्य त्योंहार है यह भारत के विभिन्न जगहों पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।गणेश उत्सव भाद्र माह (अगस्त और सितंबर) में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह त्यौहार श्री गणेश जी के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के महाराष्ट्र में इस त्योंहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है |
सब लोग अपने-अपने घरो में भगवान गणेश प्रतिमा की स्थापना करते हैं और इस प्रतिमा की उपासना कहीं-कहीं 7 दिन के लिए तो कहीं 10 दीन के लिए की जाती है और बड़े धूमधाम से इनकी पूजा अर्चना की जाती है।
गणेश जी के अन्य नाम :
भगवान गणेश जी के 108 नाम है। इन 108 नामों का नारद पुराण में उल्लेख मिलता है। गणेश जी को इन नामो से पुकारा जाता हैं :-
1) बालगणपति – Baalganapati | 37) भूपति – Bhupati | 73) पुरुष – Purush |
2) भालचन्द्र – Bhalchandra | 38) भुवनपति – Bhuvanpati | 74) रक्त – Rakta |
3) बुद्धिनाथ – Buddhinath | 39) बुद्धिप्रिय – Buddhipriya | 75) रुद्रप्रिय – Rudrapriya |
4) धूम्रवर्ण – Dhumravarna | 40) बुद्धिविधाता – Buddhividhata | 76) सर्वदेवात्मन – Sarvadevatmana |
5) एकाक्षर – Ekakshar | 41) चतुर्भुज – Chaturbhuj | 77) सर्वसिद्धांत – Sarvasiddhanta |
6) एकदंत – Ekdant | 42) देवदेव – Devdev | 78) सर्वात्मन – Sarvaatmana |
7) गजकर्ण – Gajkarn | 43) देवांतकनाशकारी – Devantaknaashkari | 79) शांभवी – Shambhavi |
8) गजानन – Gajaanan | 44) देवव्रत – Devavrat | 80) शशिवर्णम – Shashivarnam |
9) गजनान – Gajnaan | 45) देवेन्द्राशिक – Devendrashik | 81) शुभगुणकानन – Shubhagunakaanan |
10) गजवक्र – Gajvakra | 46) धार्मिक – Dharmik | 82) श्वेता – Shweta |
11) गजवक्त्र – Gajvaktra | 47) दूर्जा – Doorja | 83) सिद्धिप्रिय – Siddhipriya |
12) गणाध्यक्ष – Ganaadhyaksha | 48) द्वैमातुर – Dwemaatur | 84) स्कंदपूर्वज – Skandapurvaj |
13) गणपति – Ganapati | 49) एकदंष्ट्र – Ekdanshtra | 85) सुमुख – Sumukha |
14) गौरीसुत – Gaurisut | 50) ईशानपुत्र – Ishaanputra | 86) स्वरुप – Swarup |
15) लंबकर्ण – Lambakarn | 51) गदाधर – Gadaadhar | 87) तरुण – Tarun |
16) लंबोदर – Lambodar | 52) गणाध्यक्षिण – Ganaadhyakshina | 88) उद्दण्ड – Uddanda |
17) महाबल – Mahaabal | 53) गुणिन – Gunin | 89) उमापुत्र – Umaputra |
18) महागणपति – Mahaaganapati | 54) हरिद्र – Haridra | 90) वरगणपति – Varganapati |
19) महेश्वर – Maheshwar | 55) हेरंब – Heramb | 91) वरप्रद – Varprada |
20) मंगलमूर्ति – Mangalmurti | 56) कपिल – Kapil | 92) वरदविनायक – Varadvinaayak |
21) मूषकवाहन – Mushakvaahan | 57) कवीश – Kaveesh | 93) वीरगणपति – Veerganapati |
22) निदीश्वरम – Nidishwaram | 58) कीर्ति – Kirti | 94) विद्यावारिधि – Vidyavaaridhi |
23) प्रथमेश्वर – Prathameshwar | 59) कृपाकर – Kripakar | 95) विघ्नहर – Vighnahar |
24) शूपकर्ण – Shoopkarna | 60) कृष्णपिंगाक्ष – Krishnapingaksh | 96) विघ्नहर्ता – Vighnahartta |
25) शुभम – Shubham | 61) क्षेमंकरी – Kshemankari | 97) विघ्नविनाशन – Vighnavinashan |
26) सिद्धिदाता – Siddhidata | 62) क्षिप्रा – Kshipra | 98) विघ्नराज – Vighnaraaj |
27) सिद्धिविनायक – Siddhivinaayak | 63) मनोमय – Manomaya | 99) विघ्नराजेन्द्र – Vighnaraajendra |
28) सुरेश्वरम – Sureshvaram | 64) मृत्युंजय – Mrityunjay | 100) विघ्नविनाशाय – Vighnavinashay |
29) वक्रतुंड – Vakratund | 65) मूढ़ाकरम – Mudhakaram | 101) विघ्नेश्वर – Vighneshwar |
30) अखूरथ – Akhurath | 66) मुक्तिदायी – Muktidaayi | 102) विकट – Vikat |
31) अलंपत – Alampat | 67) नादप्रतिष्ठित – Naadpratishthit | 103) विनायक – Vinayak |
32) अमित – Amit | 68) नमस्तेतु – Namastetu | 104) विश्वमुख – Vshvamukh |
33) अनंतचिदरुपम – Anantchidrupam | 69) नंदन – Nandan | 105) यज्ञकाय – Yagyakaay |
34) अवनीश – Avanish | 70) पाषिण – Pashin | 106) यशस्कर – Yashaskar |
35) अविघ्न – Avighn | 71) पीतांबर – Pitaamber | 107) यशस्विन – Yashaswin |
36) भीम – Bheem | 72) प्रमोद – Pramod | 108) योगाधिप – Yogadhip |
ganesh chaturthi par nibandh
गणेश चतुर्थी के दिन का महत्व:
इस दिन दिन सभी सरकारी छुट्टिया रहती हैं क्योंकि इस दिन भगवान गणेश जी की उपासना की जाती है। इस दिन सभी भक्तगण गणेश जी की आरती गाते है और श्री गणेश जी को मोदक ओर लड्डू का भोग लगाया जाता है। क्योंकि मोदक ओर लड्डू गणेश जी को अति प्रिय है।

गणेश चतुर्थी को सबसे अधिक उत्साह और हर्सौल्लास से भारत के महाराष्ट्र में मनाया जाता हैं क्योंकि सबसे पहले छत्रपती शिवाजी महाराज ने उसकी शुरुआत की थी
गणेश चतुर्थी पूजाविधि:
पंचामृत में सबसे पहले दूध से गणेश जी का अभिषेख किया जाता है। पूजा स्थल पर पूर्व या उत्तर दिशा की और मुख कर के आसान पर विराजमान हो कर सामने श्री गणेश यन्त्र की स्थापना करें। शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि गणेश भगवान को समर्पित कर, इनकी आरती की जाती है।
रिद्धि–सिद्धि के रूप में सुपारी ओर पान चढ़ाये जाते है। भोग चढ़ाने के बाद सभी परिवारजनों द्वारा मिलकर गणेश जी की आरती गाई जाती है। श्री गणेश जी के 108 नामों का ओर उनके मन्त्रो का उच्चारण किया जाता है।
शिवजी द्वारा गणेश जी को वरदान:
भगवान शिवजी जो उनके पिताजी थे उन्होंने गणेश जी को आशीर्वाद देते हुए कहा था कि जब भी पृथ्वी पर किसी भी नए ओर अच्छे कार्य की शुरुआत की जाएगी तो वहाँ पर सबसे पहले तुम्हारा (गणेश) जी का ही नाम लिया जाएगा। और तुम्हारी (गणेश) जी की आराधना करने वाले व्यक्ति के सभी दुखदुर हो जाएंगे । इसी वजह से हम लोग कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की उपासना जरूर करते है। चाहे वह विवाह हो,नया घर प्रवेश, नये व्यापार का मुहर्त हो कोई भी शुभ कार्य हो उसमे गणेश जी की पूजा पहले की जाती है।
गणेशजी की पत्नी, पुत्र और पुत्री :
भगवान गणेशजी की ऋद्धि और सिद्धि दो पत्नियां हैं जो की प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रिया हैं। सिद्धि से ‘क्षेम’ और ऋद्धि से ‘लाभ’ नाम के 2 पुत्र हुए। लोक-परंपरा में इन्हें ही ‘शुभ-लाभ’ कहा जाता है। शास्त्रों में तुष्टि और पुष्टि को गणेशजी की बहुए कहा गया है। गणेशजी के पोते आमोद-प्रमोद हैं।
गणेशजी की पसंद :
भगवान गणेश जी की प्रिय वस्तु दूर्वा, लाल रंग के फूल, अस्त्र पाश और अंकुश, प्रिय भोजन बेसन और मोदक का लड्डू, केला आदि हैं। शिव महापुराण के अनुसार श्री गणेश को जो दूर्वा चढ़ाई जाती है वह जड़रहित चार (4)अंगुल लंबी और तीन (3) गांठों वाली होती हैं |
उपसंहार:
वेसे तो गणेश जी की पूजा हर घर में रोज की जाती है लेकिन गणेश चतुर्थी के दिन इनकी पूजा करने से घर की समस्याओं और कष्टों से छुटकारा मिलता हैं |गणेश चतुर्थी महाराष्ट राज्य के लोगो का सबसे अधिक पसंदीदा ओर मुख्य त्योंहार होता है। यह दिन बहुत ही पवित्र होता है। जिस प्रकार हम सभी गणेश जी उपासना करते है उसी प्रकार उनके गुणों की भी उपासना करना चाहिए जो कि बल, बुद्धि और धेर्य पर आधारित है जिसे हम मनुष्यो को भी धारण करना चाहिए।
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